Sunday, April 5, 2015

महामारी

                                                                     महामारी

12 साल में जब पहली बार मासिक धर्म शुरू हुआ तो ये किसी वज्रघात से कम नही था। अब पैर फैलाकर सोने से पहले सोचना था,दौड़ने से पहले सोचना था,कहीं जाने से पहले सोचना था।
सिर्फ बता दिया था कि हाँ ये हर महीने ये होगा, लेकिन उसे कैसे झेलना है इसका कोई उपाय नही था।
बाथरूम में खून के थक्के देखकर दिल सहम गया, सोचा इसको रोकूँगी कैसे।उस टाइम सैनिटरी नैपकिन कम ही लोग यूज़ करते थे।कम से कम मेरे घर में ये सुविधा पहुँच के बाहर थी।
पापा रेलवे में थे, तो उन्हें कॉटन के कपडे मिलते थे।माँ ने वही दिया इस्तेमाल करने को।
कपडे जाली जाली से हुआ करते तो देख कर असमंजस में पड़ गयी कि इसका इस्तेमाल करूँ कैसे, इसमें से तो दाग कपड़ो पर हर हाल में जाएंगे।
स्कूल में बाथरूम की व्यवस्था इतनी बेकार थी कि बीच में कपड़ा बदलने और खराब कपडे को फेंकने का ख्याल तो दूर से चला गया।
कुछ तय न कर पाने की स्थिति में जो तय किया वो कितना बेवकूफाना कदम था कि तब खुद पर फक्र हुआ और आज तरस आ रहा है।
एक कॉटन का कपडा अच्छा ख़ासा रुमाल कितना होता, तो स्कूल के पूरे 6 घंटों के लिए 12 कपडे एक के ऊपर एक रखकर इकट्ठे इस्तेमाल कर लिए।
अब आप मेरे लिए 2 मिनट का मौन रख सकते हैं।बिलकुल रखिये।12 कपड़ों को इकट्ठे कैसे इस्तेमाल किया होगा, इस पर हॉवर्ड ऑक्सफ़ोर्ड में रिसर्च किया जा सकता है, पर साथ कुछ बातों पर एक और रिसर्च भी हो,
1. जब आँख कान नाक मुंह से 2 मिनट खून निकलने पर पूरा मोहल्ला इकठ्ठा हो जाता है, तो इस दौरान 5 दिन लगातार 120 घंटों खून निकलने को आप एक आम सी प्रक्रिया कैसे मान सकते हैं?
2. आप जानते हैं कि माँ बनने के लिए नियमित मासिक धर्म कितना ज़रूरी है, तो 9 महीनो में ये 30 साल के 360 महीने और उनके 1800 घंटों को भी क्यों नही जोड़ लेते।
3. जब आप बच्चों के नैपी,खिलौने,माँ के लिए गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद के सारे सामान बड़े जोश और उमंग से खरीदते हैं तो सैनिटरी नैपकिन को काली पन्नी में क्यों देते हैं?
4. इस दौरान सर के एक एक बाल से लेकर शरीर का हरेक हिस्सा और पैरों के तले तक दर्द नसों में ऊपर नीचे दौड़ता है, तो घर की औरतों को थोडा आराम क्यों नही देते?
5. हार्मोन्स के उतार चढाव का सिलसिला इस दौरान चरम पर होता है तो मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारे जाने से क्यों रोका जाए? इन जगह पर मानसिक शान्ति अगर मिलती है तो प्रवेश वर्जित क्यों?
6. इसमें छिपाने जैसा क्या है? नैपकिन को अखबार में छिपाकर बाथरूम तक ले जाना और फिर अखबार पन्नी में लपेट कर फेंकना, हद्द है।शौच आप कहीं खुले में जा सकते हैं लेकिन नैपकिन पर किसी की नज़र न पड़े।
7.इस समस्या के विषय में स्कूल से ही लड़को को लड़कियों के प्रति संवेदनशील क्यों नही बनाया जाता?
8.माँ बाप लड़कों को भाई के तौर पर बहन के लिए इस विषय पर संवेदनशील क्यों नही बनाते?क्यों 20-25 साल तक बहन के होते हुए सिर्फ 1 दिन में ही प्रेमिका या पत्नी द्वारा ही ये सब पता चलता है क्योंकि तब वहां 5 दिन शारीरिक सम्बन्ध की मनाही है।
अगर माँ बाप लड़को को इस विषय में संवेदनशील बनाये तो कम से कम घरो में सहारा हो जाए, नैपकिन खरीदने जाने में भाई मदद कर सके।
9.सिर्फ 5 दिन कामकाज की जगह पर महिलाओं को क्यों भारी कामकाज से मुक्ति नही मिल सकती?
एक सामान्य मगर दर्द देने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया से ज़िन्दगी के 30 साल गुज़रने में मदद देने की बजाय उसे इतना क्लिष्ट बना दिया जाता है, कि महीने के 25 दिन इन 5 दिनों की चिंता की भेंट चढ़ जाते हैं।

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