Thursday, July 11, 2019

मर्द को दर्द नही डर होता है #WorldPopulationDay


पित्रसत्तात्मक समाज में यह बहुत ही तथाकथित कहावत है कि मर्द को दर्द नही होता। हर किसी साहस पूर्ण काम के लिए पुरुष सबसे पहले आगे आते है। यहाँ तक कि अगर वह आगे न आए तो उन्हे कायर करार कर दिया जाता हैं। लेकिन एक ऐसा क्षेत्र है जहां पुरुष किसी भी रूप में पहले खुद से आगे नही आते, या तो कोई मजबूरी, या लालच या फिर कही कही जबर्दस्ती ही उनको ये कदम उठाने के लिए आगे करती है, वह है परिवार नियोजन। जब जनसंख्या एकदम उफान पर है और हम कभी भी जनसंख्या के मामले में विश्व में पहले स्थान पर आ सकते है, तो क्या पुरुषों की ज़िम्मेदारी नही बनती की वह आगे आकार परिवार नियोजन जैसे अहम मुद्दे पर अपनी भागीदारी दिखाये। परिवार नियोजन का भार सिर्फ महिला पर ही क्यों?

ग्लोबल हैल्थ रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 40 प्रतिशत महिलाओं को ये अधिकार नही कि वह कब माँ बनना चाहती है और कब नही। जब उन्हे अपना गर्भ धारण करने की आज़ादी नही तो परिवार नियोजन की सारी चीज उनके कंधों पर क्यों डाल दी जाती है। आप बाज़ार या अस्पतालों में देखे तो कॉपर टी से लेकर, गोली, इंजेक्शन, नसबंदी सब महिला के लिए। पुरुषों के लिए एक दो साधन है भी लेकिन वो उसमें भी पीछे हट जाते है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -4) के आंकड़े बताते है अगर कुल आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों की बात की जाए तो 34% महिलाये नसबंदी करवाती हैं जबकि मात्र 1% पुरुष ही अपने हिस्सेदारी निभाते हैं जबकि उनके लिए ये विकल्प महिलाओं के मुकाबले बहुत आसान है।

अब पुरुष नसबंदी के लिए क्यों आगे नही आते उन्हे किस बात का डर है, जहां एक ओर एक महिला बच्चा पैदा करने से लेकर नसबंदी से संबन्धित ऑपरेशन के दौरान के सभी दर्द सहती है ऐसे में पुरुषो को किस बात का डर और दर्द होता है? इस बात का जवाब 2014 में लंदन स्कूल ऑफ हायजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिंस द्वारा किए गए सर्वेक्षण के में दिया गया है कि कम और मध्यम आय वाले देशों में पुरुष नसबंदी के लिए पुरुष इसलिए नही आते कि उन्हे ऐसा लगता है कि इससे पुरुषों के पुरुषार्थ अथवा यौन क्षमता पर असर पड़ेगा और लोग मज़ाक बनाएँगे वो अलग से। इसके साथ ही कुछ महिलाएं ऐसी होती है जो खुद पुरुषों को आगे आने नही देती, उन्हे लगता है ऐसा होने पर उनका पति किसी और के साथ संबंध बनाने के लिए भी आज़ाद हो जाएगा।

कहते है जीवन गाड़ी के दो पहियों के समान है और वो दो पहिये है महिला और पुरुष। लेकिन जब बात परिवार नियोजन की आती है तो सारा भार एक पहिये पर ही डाल दिया जाता है, यहाँ तक कि अगर किसी महिला को लड़का नही हो रहा तो उसमें भी उसी की गलती। अरे भले मानस थोड़ा तो दिमाग लगा लो। इसमें पढ़ाई का कुछ काम नही है क्योंकि मैंने अच्छे खासे पढे लिखे लोगों को भी यही करते देखा है।