Tuesday, August 1, 2017

एक #Click की कीमत तुम क्या जानो #Viewer बाबू...

अब कीमत किसकी है और ये कीमत लगा कौन रहा है और उसका फल कौन पा रहा है. इसका आकलन करना थोड़ा मुश्किल है. क्योंकि आजकी इस इन्टरनेटीय नुमाइश में हर किसी को इंतजार है तो बस एक क्लिक का. फिर चाहे उसके लिए फूहड़ता की कोई भी हदें पार करनी पड़े या मनोरंजन के नाम पर कुछ भी परोसा जाये, इससे किसी को कोई मतलब नहीं.

एक समय था जब लोग कला के कद्रदान थे, और कलाकार भी ऐसे कि बस वाहवाही के भूखे. ऐसे ही दौर ने न जाने कितने कलाकारों को जन्म दिया है. ऐसा नहीं है कि आज कलाकारों की कमी है. आज भी एक से बढ़कर एक कलाकार पैदा हो रहे है. लेकिन इन सब के बीच कुछ बरसाती मेढ़क ऐसे आ जाते है, जो कला के मायने ही बदल देते है. वैसे आज के इस दौर में सब कुछ डिजिटिलाइजेशन पर ही चल रहा है. यहाँ तक कि कला की ये परख भी. बस एक क्लिक की दौड़ में हमारे कलाकार भाग रहे है. कैसे भी करके एक क्लिक मिल जाये बस. अगर सब्सक्रिप्शन हो जाये तो शायद उन्हें रात भर नींद ही न आये. उनके हुनर को पहचान तभी मिलेगी जब उनके फोलोवेर्स सोशल मीडिया पर ज्यादा होंगे. इस भीड़ का हिस्सा न जाने कितने लोग बनते जा रहे है.

पहले के कलाकार कहते है कि हमारे समय पर ये सब नहीं था. रेडियो टेलीविज़न, समाचार पत्रों के ज़रिये उन्हें पहचान मिल जाती थी. उनका यही हुनर उनकी पहचान को बनाये रखता था. उनके अनुसार पहले बहुत ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती थी किसी भी काम के लिए. जबकि आज का दौर अलग है एक क्लिक से इन्सान रात भर में फेमस हो जाता है. लेकिन अब भला उन्हें कौन समझाए कि ये एक क्लिक पाने के लिए लोग क्या क्या करने को तैयार हो गये है. मुझे तो ये लगता है शायद लोगों ने अपना दिमाग कहीं ख़ुफ़िया तिजोरी में छुपा कर रख दिया है. सोचा ऐसे ही काम चल रहा है तो इसकी क्या जरुरत. वैसे वाकई हमने अपना दिमाग कहीं छुपा दिया है क्या? क्योंकि मनोरंजन के नाम पर जो  मार्केट में आ रहा है, और उसे हम खुले हाथों से ले रहे है, तो कहीं न कहीं कुछ न कुछ झोल जरुर है. 

वैसे फेसबुक पे भी अब विडियो पोस्ट का इतना हुजूम फ़ैला है की पूछो मत. पहले तो इतने लम्बे लम्बे पोस्ट शेयर किये जाते थे. लेकिन जब लगा कि इन पोस्ट को पढने के लिए लोगों के पास समय ही नहीं है. तो जन्म हुआ विडियो स्टोरीज का. फेसबुक से लेकर इन्स्टा, ट्विटर भर गया इन वीडियोज से. लेकिन अब लगता है लोगों का  इन बेफिजूल वीडियोज से भी मन भरता जा रहा है. ऐसे में कुछ हुनरबाजों के लिए ये दिक्कत आ गई कि अब वो कैसे अपने हुनर को दिखाए? शायद मैंने ही अभी नोटिस किया हो कि अब हर वो दूसरा आदमी जो अपने आप को हुनारबाज मानता है, अपने विडियो के ऊपर लिखता है कृपया आखिरी तक देखे. या कई तरीकों से ये बात मनवाता कि आप आखिरी तक देखोगे तो ही मज़ा आयेगा या आप इस कहानी को तभी समझ पाओगे. सच में प्रतिस्पर्धा की इस दौड़ ने एक तरफ तो बस एक क्लिक के ज़रिये धिन्चक पूजा जैसे (उनके ख़ुद की जुबानी) कलाकारों को पैदा किया है. वही किरण यादव जैसे लोगों के फोलोवेर्स बढ़ाये है. सच में साइबर की इस बढ़ती दुनिया में एक अलग ही किस्म का मनोरंजन पैदा हो रहा है. जहाँ ये फ़र्क करना मुश्किल है कि क्लिक करके आप एंटरटेन हो रहे हो या किसी के क्लिक बढ़ाके उसे एंटरटेन कर रहे हो.