यात्रीगण ध्यान दे
वैशाली की ओर जाने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नंबर २ पर आ रही है.
ओहो गाड़ी भी आ गई.
लड़कियों के लिए लगी लम्बी कतार में मेट्रो परिसर में अपनी एंट्री का इंतज़ार करती
हुई सनाया आज 5 मिनट लेट उठने पर अफ़सोस जता रही थी. काश मैं 5 मिनट पहले उठ गई
होती तो मुझे ये मेट्रो मिल जाती.
अब मै 5 मिनट देरी
से ऑफिस पहुँच पाऊँगी और 5 मिनट की देरी पर वो राक्षण मेरा सिर खा जायेगा. नरक हो
गई है जिंदगी यहाँ. क्या सोचके के घर से निकली थी कि बड़े शहर में हज़ार मौके
मिलेंगे. 4 साल इंजीनियरिंग की पढाई
का कुछ तो फल मिलेगा. आखिर कार टोपर थी मैं. लेकिन यहाँ आके जिंदगी क्या हो गई है.
करने के लिये तो कोई काम बुरा नहीं हैं, लेकिन मैं कब तक इसमें अपना टाइम बर्बाद
करूंगी. 9:30 से 6:30 बजे तक वाली जिंदगी मैं ज्यादा दिन तक नहीं झेल सकती. और इस
बड़े से शहर में कोई नहीं हैं मेरी ये बातें सुनने वाला.
और तभी मैडम मैडम
आपका बैग मेट्रो चेकिंग के अन्दर खड़ी महिला कांस्टेबल सनाया को उसकी हताशा से भरे
ख्यालों से निकाल देती है.
सनाया उसे शक की
नजरों से देखती है और अंदाजा लगाती है कि उसने अभी क्या बोला.
फिर वो कांस्टेबल
अरे मैडम अपना बैग मशीन में रखकर आइये.
ओह्ह्ह सॉरी. अपनी
बेवकूफकाना हरकत पर सनाया को थोड़ी सी शर्मिंदगी होती है फिर वो बाहर आकर बैग
चेकिंग वाली मशीन में अपना बैग रखती है फिर खुद सेल्फ चेकिंग वाले एरिया से निकल
कर जैसे ही अपना बैग उठाती है उसी के साथ ही वो झटके से बैग उठाने के चक्कर
में किसी और का बैग गिरा देती है.
ओह्ह्ह आई ऍम सो
सॉरी.
इट्स ओहक सामने खड़ा
एक नौजवान शालीनिता भरी मुस्कान के साथ बोलता है.
सनाया उसकी मुस्कान
को अनदेखा सा करके अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए चली जाती है.
जैसे ही मेट्रो आती
है सनाया पीछे मुड़कर देखती है तो वही लड़का उसके पीछे खड़ा होता है. मेट्रो के गेट
के खुलते ही दोनों अन्दर प्रवेश कर लेते है, सनाया बड़े स्टाइल में अपना फ़ोन
निकालती है और इअरफ़ोन लगाकर गाने सुनने लगती है. जैसे ही उसका स्टेशन आने वाला
होता है. तो मेट्रो के शीशे से वो देखती है कि वही लड़का उसके पीछे खड़ा है. सनाया
मन ही मन में सोचती है कि अब क्या ये मेरे साथ उतरेगा भी.
और होता भी वैसा ही
है. सनाया की तरह वो लड़का भी उसी स्टेशन पर उतरता है. फिर एग्जिट गेट की लाइन से
लेकर मेट्रो स्टेशन के बाहर तक वो लड़का सनाया के पीछे पीछे ही चलता है. अब इसे
संजोग कहे या किस्मत. कि जिस शेयरिंग टैक्सी में सनाया बैठती है. वो लड़का भी उसी
टैक्सी में बैठता है. अब तो सनाया का गुस्सा बढता ही जा रहा था. मन में न जाने
कितने ख्याल आ रहे थे. और तो और थोड़ी थोड़ी देर में न चाहते हुए भी सनाया की नज़र उसकी
ओर चली जाती थी, और जैसे ही वो लड़का सनाया की ओर देखता. सनाया ठिठक के अपना मुंह
फेर लेती. मतलब अब ये मुझे ताड़ भी रहा है, अगर ये मेरे साथ ही उतरा तो फिर तो मै
इसे सबक सिखा ही दूंगी. सनाया न जाने कितने ऊल जलूल ख्याल अपने मन में ला रही थी.
तभी उसके कानों ने एक आवाज़ सुनी, जो उसी लड़के की थी- भैया बस आईटी चौराहे पर रोक
दीजियेगा. फिर टैक्सी रूकती है और वो लड़का उतरकर चला जाता है.
अब तो सनाया को और
भी गुस्सा आने लगा, लेकिन इस बार ख़ुद पे. तुम समझती क्या हो सनाया ख़ुद को, कहीं की
हूर हो, कि हर लड़का तुम्हारे पीछे ही आयेगा. एक तो तुमने उसका बैग गिराया ऊपर से
इतनी देर से उसके बारे में न जाने क्या क्या सोच रही हो. हद होती है किसी चीज की.
सच में अब तो कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा. दिमाग ख़राब होता जा रहा है मेरा.
तभी टैक्सी वाले
भैया. मैडम बासठ आ गया.
दूसरे दिन सनाया उसी
जल्दबाजी के साथ मेट्रो स्टेशन की सीडियाँ चढ़ रही थी. ओहो आज फिर पांच मिनट लेट हो
गयी यार. फिर से ये वाली मेट्रो मिस हो जाएगी. जल्दी जल्दी चेकिंग एरिया पार करके
सनाया प्लेटफार्म पर पहुचती है तो देखती है कि वही लड़का प्लेटफार्म पर पहले से ही
खड़ा है. वही ब्लू शर्ट में. उसे देखते ही सनाया ने अपनी नजरे चुराई और एक ओर देखने
लगी. ट्रेन आई और दोनों उसमे सवार होके अपनी अपनी मंजिल को चल दिए.
सनाया को हर रोज वो
लड़का मेट्रो स्टेशन पर मिलता, कही एंट्री के टाइम या प्लेटफार्म पर या फिर एग्जिट
के समय. लेकिन मिलता ज़रूर था. और उसी ब्लू शर्ट में. शायद उसके ऑफिस की ड्रेस हो.
सनाया अक्सर उसे देखके यही सोचती.
कभी कभी तो एग्जिट
करते टाइम अगर सनाया पीछे खड़ी हो तो वो सनाया को पहले एग्जिट करने के लिये ऑफर
करता. और तो और टैक्सी में भी सनाया को आता देख वो साइड में खिसक जाता और सनाया को
सीट ऑफर करता.
बिना बोले ही सनाया
को ऐसे लगता कि जाने कितनी बात कर ली हो उससे. सनाया को भी अब आदत सी हो गई थी
उसकी. और अब तो बिना बडबडाये हर रोज जानबूझकर पांच मिनट लेट निकलती थी. आखिरकार
मेट्रो की हर रोज की बदलती भीड़ में एक चेहरा जो मिल गया था. वो ब्लू शर्ट.
बस फिर क्या दो तीन
महीनें तक यही सिलसिला चलता रहा. न उसने कुछ बोला और न ही सनाया ने. बस वो 8:20
वाली मेट्रो उनका पत्ता थी. और उस आईटी चौराहे तक का उनका सफ़र. अब सनाया भी कोशिश
करती थी कि वो उसी टैक्सी में आके बैठे. इसीलिए जानबूझकर वो टैक्सी के दूसरी साइड
नहीं खिसकती थी. जैसे ही वो ब्लू शर्ट वाला लड़का आता तो वो खिसक के उसे जगह देती.
ये सिलसिला यूँही चलता जा रहा था.
फिर एक दिन हर रोज
की तरह सनाया अपना मेल बॉक्स चेक कर रही थी. तभी वो देखती है कि उसकी मेल लिस्ट
में congratulation का एक मेल होता. जैसे ही सनाया उसे खोलती है तो उसकी आँखे खुली
की खुली रह जाती है. ओह माय गॉड मेरा सिलेक्शन लैटर आ गया. वो तुरंत अपना फोन
उठाती है. और अपने घर पर फोन लगाती है.
हेलो मम्मी, मम्मी
मेरा सिलेक्शन हो गया एक बहुत बड़ी आईटी कंपनी में. जिसके लिये मैंने पिछले महीने
written दिया था. जिस दिन का मुझे इतना इंतजार था वो दिन आ गया मम्मी. मंडे बुलाया
है. सारी formalities के बाद. next डे से ही जोइनिंग हैं.
अपनी ख़ुशी सबमे बाँट
कर सनाया जब बैड पर लेटी हुई ऊपर की ओर देख रही थी, तभी उसे एहसास होता है. कि इस
नयी नौकरी के साथ सब बदल जायेगा. उसका ऑफिस, आसपास के लोग, वो ऑफिस के बाहर टपरी
वाली चाय, और वो 8:20 वाली मेट्रो. अचानक से ही सनाया की सारी खुशियों में जैसे
ग्रहण लग गया. और वो बेचैन होने लगी.
पूरी रात वो बस यही
सोचती रही. कि अब वो क्या करेगी. मुझे तो ये भी नहीं पता की क्या मैं उसे पसंद
करती हूँ. अगर वो न करता हो तो. हमारे बीच जो चल रहा है वो बस एक दूसरे का बहम हो.
और मै उससे बोलूंगी क्या, किस हक़ से बोलूंगी कि मैं अब से इस रास्ते नहीं आऊँगी.
कि अब से हमारे रास्ते अलग हो जायेंगे. और शायद अब हम कभी न मिल पाए. या फिर कम से
कम उसका नाम ही पूंछ लूंगी. अपने मन और दिमाग की लड़ाई में सनाया ने पूरी रात गुजार
दी.
सुबह जल्दी उठके बिना कुछ सोचे वो निकल पड़ी उस 8:20 की मेट्रो के लिए. एंट्री
गेट से लेकर प्लेटफार्म तक सनाया की नजरे बस एक ही चीज ढूढ रही थी. वो ब्लू शर्ट.
ब्लू शर्ट तो बहुत मिली लेकिन वो वाली नहीं जिसका सनाया को इंतजार था. एग्जिट के
टाइम भी सनाया ने बहुत कोशिश की. कि कहीं से वो उसे दिख जाये लेकिन उसका कहीं पता
नहीं था. थक हार के सनाया टैक्सी स्टैंड पर पड़ी चेयर पर बैठ गई. और सोचने लगी अब
क्या होगा कैसे उसे मैं ढूढूगी. मुझे तो उसका नाम तक नहीं पता. बस एक ही चीज हैं
उसकी जो मुझे याद है. बस उसकी वो ब्लू शर्ट.