Thursday, October 6, 2016

आँखे बंद जब की मैंने

आँखे बंद जब की मैंने, तो तेरी परछाई का एहसास हुआ, खोलते ही गुम गया तू, तब मुझे ये एहसास हुआ, कि तू है कहीं आसपास मेरे, साया तेरा मुझमें ही हैं. रखती हूँ कदम जहाँ भी, छाया तेरी मुझपे ही हैं. जब जब ये धड़कन बढ़ती है, तेरी ही नज़र का जादू है जो साथ साथ चलती है. हर चेहरे में जब तेरा चेहरा ढूढती हूँ. मचल उठती हूँ मैं जब उनमें तुझे न पाती हूँ. कहा हो तुम कैसे हो तुम, बस ये ख्याल अब दिल को सताता हैं, मिल पाऊँगी कभी क्या मै तुमसे, बस ये फिक्र मुझे जलाती है. कुछ न बाकी है अब हमदम, अब तुझसे बस मिलना है. कहाँ हैं तू कैसा हैं तू बस ये अब मुझको सुनना है. जबतक साँसे चल रही है तब तक तुझसे मिलने कि आस है. तो क्या मिलोगे तुम बस एक बार चाहे आखिरी बार.

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