Tuesday, May 24, 2016

आईना

आईना.......


मंगलम भगवान् विष्णु मंगलम गरुद्द्वाज,
मंगलम पुण्डरीकक्षाय मंगलाये तनोहरी......
वर वधु फेरों के लिए खड़े हो जाइये,
राज बेटा पंडित जी कुछ कह रहे है, राज सुन रहा है न तू..
राज यार क्या हुआ???
अपने दोस्त राहुल की आवाज सुनकर राज अपने ख्याल से बाहर आता है.
क्या कर रहा है यार दिन में सपनें, अभी ऑफिस खत्म होने में टाइम है सो गेट उप, क्या हुआ कोई दिक्कत. अगर है तो इसको तू ही सोल्व कर सकता है, राहुल बड़े ही मजाकिया अंदाज में बोलता है. अपनी ही दुनिया में मगन राज बस ह्म्म्म का जवाब देकर फिर सोचने लगता है. कि आज वो कहाँ आकर खड़ा हो गया है. ऐसी जगह जहाँ उसे कुछ समझ नहीं आ रहा. सोचते सोचते वो राहुल से बोलता है कि अब मैं सब खत्म करने की सोच रहा हूँ. इसबार पक्का मैं प्रिया को बोल दूंगा. लेकिन पिछले ५ सालों से ये बात सुनते सुनते राहुल भी ऊब गया था. उसे पता था कि मैं ऐसा कुछ नही करने वाला. राहुल की तरफ से कोई भी रिस्पांस न मिलने के कारण राज फिर सोचने लगता है.

शादी के ५ सालों बाद राज को फिर वही ख्याल आया था जब वो अपनी शादी के मंडप में बैठकर पंडित जी की बातों और शहनाइयों की आवाज से ऊपर उसे अपने मन की आवाज सुनाई दे रही थी वो सोच रहा था. क्या ये सही समय है शादी करने के लिए, मैं तो प्रिया को जानता तक नहीं, ये कोई तरीका नहीं होता की खुद फैसला कर लिया और बस बोल दिया लड़की अच्छी है. अरे लडकियाँ कौन सी ख़राब होती है, मुझसे तो पूछा होता कि मैं क्या चाहता हूँ. उस समय तो लगा कि मम्मी पापा ने कुछ सोचकर ही रिश्ता तय किया होगा. और शायद सबको शुरुआत में ऐसा ही लगता है. एक दूसरे को जानेगे तो सब ठीक हो जायेगा. लेकिन राज का ऐसा सोचना गलत था. वो आज भी उसी मजधार में फंसा है जिसमें वो शादी के टाइम फंसा था.

वैसे प्रिया कहने में सबसे बेस्ट वाइफ होगी, वो सुन्दर है, घरेलु है, अपने पति का ख्याल रखना उसे बहुत अच्छे से आता है. मेरी सारी चीजें वो बहुत अच्छे से सम्भाल के रखती है, जो है वो उतने में खुश रहती है, कभी न शिकायत, न ही डिमांड. इतने साल होने के बाद भी उसने कभी ये नहीं पूछा की मै उसके करीब क्यों नहीं आया. उसको खुश करना भी कोई मुश्किल काम नहीं. महीनें में उसके पसंद की चीजें दिलवा दो. या कुछ भी लाकर दे दो, वो ख़ुशी ख़ुशी एक्सेप्ट कर लेती है.वैसे कहने को तो हम पति पत्नी है. एक घर में रहते है, ऑफिस पार्टी में साथ साथ जाते हैं, कभी कभी साथ में शॉपिंग कर लेते है. दुनिया की नज़रों में  “अ हैप्पी मैरिड कपल. लेकिन असल में हम एक घर में दो मशीन की तरह रहते है. जहाँ मैं पैसे कमाने में लगा रहता हूँ और वो घर सम्भालन में. प्रिया कभी मुझसे कुछ सवाल नहीं करती, मैं जितना बोलता हूँ सुन लेती है और मान भी लेती है.
मैं प्रिया से कभी प्यार नहीं कर सकता, इस चीज का एहसास मुझे शादी की पहली रात को ही पता चल गया था, और ऐसा कभी भी नहीं कर पाऊंगा, इस चीज का एहसास मुझे सोनिया से मिलने के बाद पता चला. सोनिया मेरी दोस्त है या कहे दोस्त से कुछ ज्यादा. मै अपनी ५ साल की शादी के वाबजूद एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर चला रहा हूँ सोनिया के साथ. उस लड़की के साथ जिससे मैं प्यार करता हूँ. सोनिया जितनी बोल्ड है प्र्रिया कभी वैसी हो ही नहीं सकती. एक ओर जहाँ सोनिया इतनी वायलेंट है वही प्रिया उतनी ही शांत. माना कि सोनिया मेरे ही ऑफिस में काम करती है, लेकिन सोनिया वो लड़की है जिसे मैं हमेशा अपने ख्यालों में सोचता था जिसको देखते ही मैं समझ गया था कि यही है वो लड़की जिसके लिए मैं इतने टाइम से इंतजार कर रहा था. जब वो पहले दिन ऑफिस में आई, तो हर किसी की नजर बस उसपर थी. स्काई ब्लू शर्ट के साथ स्किन टाइट ग्रे कलर स्कर्ट में किसी बॉस से कम नहीं लग रही थी. जब सर ने सारी टीम के साथ उसका इंट्रोडक्शन कराया तो सबके सब बेताब थे कि उनका नंबर कब आएगा. एक एक करके जब मेरी बारी आई तो मैं पहला था जिसको सोनिया ने खुद आगे आकर हाथ मिलाया, भाई मेरा तो दिन बन गया और बाकी सबकी शक्लें. फिर उसी दिन जब लंच पर वो मेरे साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गई और बोली, मेरे यहाँ बैठने में आपको कोई दिक्कत तो नहीं. मेरी जवाब सुने बिना ही वो बोल पड़ी अरे आपको होगी भी नहीं यू आर नॉट दैट टाइप ऑफ़ पर्सन. मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि ये दैट टाइप ऑफ़ पर्सन क्या हुआ. मतलब मैं कोई टाइप में भी आता हूँ. खैर पूरे लंच के टाइम वो मुझे देखकर बात करे जा रही थी. और सब मुझे देखें जा रहे थे. एक ही दिन में मै सोनिया से ज्यादा नोटिस होने वाला वंदा बन गया था. शाम तक आते आते बात तो और ही बड़ गई. और वो ये की सोनिया ने मुझे गले लगाकर बाय बोला और चली गई. अब तो सच में सबकी सिगरेट के साथ उनका दिल भी जल रहा था. ऐसा नहीं है की मैं उससे बात नहीं करना चाह रहा था. लेकिन यहाँ तो बिना बात के ही बात बड़ रही थी.
उसी शाम जब मैं घर आया तो मेरे नॉक करने के पहले ही प्रिया ने दरवाजा खोल दिया. और लाल साड़ी में तैयार प्रिया किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. मांग में सिंदूर, माथे पे बिंदी, गले में मंगलसूत्र सारी चीज़े उसके और मेरे रिश्ते को बयाँ कर रही थी. सोनिया के ख्यालों में खोया हुआ मैं एकदम से अपनी असल जिंदगी में आ गया. जहाँ मैं किसी का पति था. रोज की तरह प्रिया ने ब्रीफ़केस लिया और बोली आप फ्रेश हो जाइये, मैं खाना लगा देती हूँ. हर महीनें में एक आध बार प्रिया ऐसा जरुर करती थी. जब वो अच्छे से तैयार होकर मेरे पसंद की सारी चीजें बनाती थी. वैसे तो वो हमेशा ही मेरी पसंद का ख्याल रखती थी. लेकिन कुछ दिन ये स्पेशल ट्रीटमेंट उसकी तरफ से हमारे रिश्ते को जिंदा करने की तरकीब होती थी. जिसे मैं हमेशा ख़राब कर देता था. उसके इस रूप को देखकर कोई भी इन्सान अपने आपको उस पर लुटा सकता था. लेकिन मैं पता नहीं क्यों चाहकर भी ये नहीं कर पा रहा था. खाना खाते ही मैंने उससे बोला कि मैं थक गया हूँ. तो मैं सोने जा रहा हूँ. अपने माथे पर एक सिकन लाये बिना वो  बोली ठीक है आप सो जाइये. कभी कभी मैं खुद सोचता था कि मैं ये क्या कर रहा हूँ. क्यों अपनी बजह से किसी और को सज़ा दे रहा हूँ. इसमें प्रिया की क्या गलती. और यही बात मेरा दोस्त राहुल भी हर बार समझाता था. कि तुम्हें कोई तो फैसला लेना होगा. लेकिन हर बार मेरे सामने ये बात आ जाती थी कि मैं अपने माँ-बाप को क्या बोलूँगा, कि मैं प्रिया को किस लिये छोड़ना चाहता हूँ. यही कि वो बहुत अच्छी हैं, मेरा हमेशा ख्याल रखती है, और मैं जो कुछ भी बोलता हूँ मान लेती. वो हर एक मामले में एक अच्छी बीवी हैं. लेकिन शायद मेरी जरूरतें ही अलग है.
मैं प्रिया की मेहनत और उसके प्यार को इग्नोर करके सोनिया के ख्यालों में फिर से खो गया. कि उसने सिर्फ मुझसे हाथ मिलाया और आते वक़्त गले भी मिली. इतनी जल्दी मैं सोनिया के, या ये कहे हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ जायेंगे सोचा भी नहीं था. उसका मीटिंग के बीच मुझे आँख मारना, टेबल के नीचे से मेरा हाथ दबाना. मेरे पसीने ही छुड़वा देता था. मीटिंग खत्म होने के बाद उसका मेरी हालत पर जोर जोर से हंसना और मुझे फट्टू बुलाना मुझे सबसे ज्यादा पसंद था. कभी भी कहीं भी कुछ भी बोलने वाली सोनिया हमारे प्यार में ट्विस्ट डालने के लिए हमेशा रेडी रहती थी. और उसके वो टैगलाइन- टू मिनट मैगी चाहिए या फुल डिनर. सच में उसकी इस बेबाकी वाली जिंदगी में मैं हर एक चीज भूल जाता था. सिर्फ मुझे सोनिया दिखती थी, उसकी वो हंसी, उसके वो प्रैंक. एक बार तो रात को १२ बजें मुझे कॉल करके बोला कि मेरे घर में कोई हैं. प्लीज जल्दी आ जाओ, मैं डर की वजह से भागा गया तो देखा फ्लैट का दरवाजा खुला था जब मैं अन्दर गया, तो पूछा क्या हुआ कौन था. चला गया क्या? नहीं अभी तो आया है सोनिया ने कहा.

आज मेरे और सोनिया के रिश्तें को ३ साल हो गये है.लेकिन अब भी इसमें एक नयापन हैं. बस अब मैं प्रिया से कुछ नहीं छुपाना चाहता. मैं उससे अपने हर एक किये की माफ़ी मांग लूँगा. और मुझे पूरा विश्वास है कि वो मुझे माफ़ कर देगी.
हर बार मैं ये सोचता था कि मैं अपने हिस्से की ख़ुशी क्यूँ न जियूं, लेकिन हर बार ये भूल जाता था की प्रिया की भी तो कुछ ख़ुशी होंगी. आज वाशरूम में सोनिया के साथ जब शीशें में मैंने अपने आप को देखा तो पाया कि मैं क्या हो गया हूँ. अपनी जिंदगी और अपनी ख़ुशी में इतना पागल की मुझे ख्याल तक नहीं रहा किसी और का. वो चमचमाती रौशनी में मुझे मेरा चेहरा काला नज़र आ रहा था. जिसपर खुदगर्जी और बेगैरतपन की कालिख पुती हुई थी. मैंने अपना मुंह शीशें की तरफ से मोड़ा और सीधे वाशरूम से बाहर आकर अपनी डेस्क पर बैठ गया.

आज मुझे घर जल्दी जाना होगा, अब मैं एक पल भी नहीं रुक सकता. मैं आज प्रिया को सबकुछ बता दूंगा, कि जिसके लिए वो इतना सबकुछ करती हैं वो उसका हकदार ही नहीं. फिर उसका जो फैसला हो. लेकिन अब मैं इन दो नावों पर सफ़र नहीं कर सकता. जबकि मुझे पता हैं कि मेरी नाव कौन सी है. आज मैं प्रिया को हर बोझ से आजाद कर दूंगा. इन्हीं सब बातों को सोचते हुए राज अपने घर की तरफ  निकल पड़ा.
रास्तें में भी उसे न जाने कितने ख्याल आये. वो बस सोचता रहा कि कैसे वो हर बार प्रिया और उसकी चीजों को इग्नोर कर दिया करता था. यहाँ तक कि जब ऑफिस की तरफ से नैनीताल ट्रिप प्लान हुई जिसमें हर किसी को अपने पार्टनर के साथ जाना था. वहां पर भी मैंने प्रिया को छोड़कर अकेले जाना ज्यादा सही समझा. क्योंकि दुनिया वालों की नजरों में वो मेरी पत्नी थी, लेकिन मेरी नजरों में मेरा  पार्टनर सोनिया के अलावा कोई नहीं. इसीतरह एक बार जब मेरे सारे फ्रेंड घर पर खाना खाने के लिए आये तो सब प्रिया के हाथ के खाने की तारीफ किये जा रहें थे. खुद से ज्यादा किसी और के मुंह से अपनी बीवी के खाने की तारीफ मुझे थोड़ी जलन तो जरुर दे रही थी. लेकिन मैं करता भी क्या. जलन में मैंने खाना तक नहीं खाया और मेरे चेहरे का हाल प्रिया तुरंत समझ गई.

अपने आपको प्रिया का गुनाहगार समझता हुआ राज जब अपने फ्लैट की बिल्डिंग के पार्किंग एरिया में पहुंचा तो एक जानी पहचानी गाड़ी ने थोड़ी देर के लिए उसका ध्यान खींचा. लेकिन पश्चाताप की आग में जलता हुआ राज किसी भी चीज की परवाह किये बिना लिफ्ट एरिया में गया.
सलाम साहेब आज इतनी जल्दी. लिफ्ट के चौकीदार ने परवाह जताते हुए पूछा.
१२ वीं मंजिल. राज ने उसके सवाल को नजरअंदाज करते हुए बोला.
जी साहेब.
१२ वीं मंजिल पर लिफ्ट जैसे ही रुकी राज का दिल जोर जोर से धड़कने लगा. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. अपने फ्लैट की मंजिल पर पहुँचकर उसे थोड़ा ख्याल उस कार का आया जो उसके बिल्डिंग के पार्किंग एरिया में खड़ी हुई थी. न जाने क्यों उसका दिल और जोर जोर से धड़कने लगा. अपनी ५ साल की शादी में राज आज पहली बार घर जल्दी आया था. और अब उसे अपने ही घर में जाने से डर लग रहा था. उसने डोर वेल बजाने की जगह अपने फ्लैट के पीछे के गेट से जाना ज्यादा सही समझा. इस समय राज किसी भी सोचने समझने की हालत में नहीं था. उसे जो समझ में आ रहा था वो वही कर रहा था. अपने ही घर में चोरों की तरह घुसने में राज को भी बहुत अजीब लग रहा था.
पीछे के दरवाजें से जब राज अन्दर आया तो देखा प्रिया कहीं नहीं है, फिर वो धीरे से अपने बेडरूम की तरफ गया. बेडरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था. जरा सी झलक देखते ही उसने तुरंत अपनी पीठ घुमा ली. उसकी आँखों ने जो देखा था उसे उसपर विश्वास नहीं हो रहा था. वो पूरी रफ्तार के साथ वापस मुड़ा और सीधे पार्किंग एरिया में खड़ी अपनी गाड़ी में आकर बैठ गया.
नहीं ये नहीं हो सकता, ये सब मेरे मन का बहम है, आज मैं कुछ ज्यादा ही ख्यालों में हूँ. राज मन ही मन बडबडाता हैं. जैसे ही वो गाड़ी के सामने की तरफ देखता है तो उसकी नज़र वही खड़ी जानी पहचानी गाड़ी पर पड़ती हैं.
ये तो राहुल की कार है. राहुल और प्रिया!!! ऐसा कैसे हो सकता हैं मेरा अपना दोस्त मेरी ही बीवी के साथ, मेरे ही घर के बेडरूम में ऐसे!! क्या राहुल इसी बजह से मुझे प्रिया को छोड़ने के लिए बोलता था.
और प्रिया!! वो तो इतनी पतिव्रता स्त्री थी, अब उसे क्या हुआ. शायद इसीलिए उसे आज दिन तक मेरे पास जाने का बुरा नहीं लगा. मेरी खुद की बीवी मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है. राज के मन में न जाने ऐसे कितने ख्याल आ रहे थे. तभी उसकी नजर गाड़ी के अन्दर लगे शीशें पर पड़ी. खुद की नजरों से नज़र मिलाते ही शीशें में प्रतिविम्बित राज उससे बोलता है.
क्यों तुम्हें बुरा किस बात का लग रहा हैं. यही न कि प्रिया तुम्हारी बीवी है. बस! जिसे बीवी का दर्जा तुमने आज दिन तक नहीं दिया. और अचानक से तुम्हें उसका ख्याल आ गया की वो तुम्हारी बीवी है, तो वो ऐसा कैसे कर सकती है. और जो तुम इतने सालों से उसके साथ जो व्यवहार कर रहे हो. क्या वो सही है. तुमने कौन सा अपना पति धरम निभाया है. और आज भी तुम उसे गले लगाने नहीं बल्कि ये बताने के लिए आये थे कि तुम उसे छोड़कर आजाद करना चाहते हो. और उसकी ये आज़ादी तुम्हें हजम नहीं हुई. सच मानो तो राज तुम कितने खुदगर्ज हो, माना की तुम प्रिया के साथ खुश नहीं थे तो तुमने अपनी ख़ुशी सोनिया में ढूंड ली. और प्रिया के अकेलेपन पर तुम्हें तरस तक नहीं आया. और अब जब तुम्हें पता चला कि वो किसी और के साथ हैं. तो तुम्हें जलन होने लगी. खुश रहने का हक़ सिर्फ क्या तुम्हें ही है. अपने अन्दर की आवाज़ सुनकर राज एक राहत की सांस लेता है. और गाड़ी स्टार्ट करके निकल पड़ता हैं.
  






Sunday, May 8, 2016

HAPPY MOTHER'S DAY


कुछ है, वह क्या है मेरे पास, बस आपका एहसास,
कुछ हूँ, वह क्या हूँ मैं, बस आपका आशीर्वाद,
पाया मैंने हर जगह बस आपको चाहे धूप हो या बरसात,
नहीं चुका सकती उस प्यार को, जो दिया आपने मुझे अपार,
बस पाना है एक मुकाम, जो दे सके आपको ख़ुशी और नाम,
पाया है आपको माँ के रूप में, यह है मेरा सौभाग्य,
बस बनके रहना चाहती हूँ, आपकी परछाई चाहे जो हो हालात.....
you've seen me laugh, you've seen me cry...
And always you were there with me,
i may not have always said it,
But thanks and I LOVE YOU MUMMY...
HAPPY MOTHER'S DAY....